1- मत पूछ किस हाल में वक़्त गुज़ारा गया,
मैं दुश्मनों से बचा अपनों में मारा गया।
2- दुनिया वाले कामियाबी देख जलते रहे,
वो पीठ पीछे बकते रहे, हम आगे आगे चलते रहे।
3- ये जो मेरे झूठे किस्से सुनाते हैं वो खुद कहानी हो जाएंगे,
हमसे जलने वाले खुद पानी-पानी हो जाएंगे।
4- कहानी इनकी कहीं ख़ाक ना हो जाए,
मुझसे जलने वाले कहीं राख ना हो जाएं।
5- मुझे ऊँचाई पर देख वो जलते रहे
मगर उनकी एक चिंगारी भी मुझ तक नहीं पहुंची।
6- ज़माने वालों के बेसुरे ताने कभी राग नहीं बन सकते,
हमसे जलने वाले कभी आग नहीं बन सकते।
7- ये बात तो अब सारे ज़माने में साबित हो चुकी है,
लोग अपने दुखों से नहीं दूसरों की ख़ुशी से दुखी है।
8- परेशान है हो मेरी कामियाबी देख
कर मैं खुश हूँ उन्हें परेशान देख कर।
9- हमसे दुश्मनी वो कुछ इस क़दर रखते हैं,
की हमसे ज्यादा वो हमारी खबर रखते हैं।
10- कुछ इस बखूबी से हमने ज़िन्दगी का खेल चलाया है,
चाहने वालों को खूब चाहा और जलने वालों को खूब जलाया है।
11- मेरे होंसलों की आग थी ही इतनी बुलंद
इसमें कुछ दुश्मन जल गए तो मेरा कसूर क्या।
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12- कमाया भी काफी गवाया भी काफी है,
हमने जलने वालों को जलाया भी काफी है।
13- चौकन्ना रहना पड़ता है हर आहट-ऐ-क़दमों से,
जब से मालूम हुआ अपने ही जल रहे हैं अपनों से।
14- बुढ़ापा आ गया है दुश्मनों का उनसे कहो की चला कम करें,
एक दिन खुद बखुद राख हो जाएंगे उनसे कहो की जला कम करें।
15- नमक मिला रहे हैं सगे जख्म की दवाइयों में,
नज़र आती है अब मुझे जलन बधाइयों में।
16- अब क्या बदला लिया जाए संग चलने वाले ही अपने है,
अब किसे अच्छी खबर सुनाई जाए कम्बख्त जलने वाले भी अपने हैं।
17- ज़िन्दगी खेल शतरंज का है जनाब यहाँ
लोग क़दम क़दम पर चालें चलते हैं।
18- क्यों दरें ज़िन्दगी में क्या होगा,
कुछ नहीं भी होगा तो तजुर्बा होगा।
19- जो जलते रहे ताउम्र किसी और से
उनका घर खुद का कभी रोशन ना हुआ।
20- सर्दियां बस आने को है,
जलने वालों से थोड़े हाथ सेक लेंगे।
21- जिनकी नइया मझदार में फस जाती है
वही जहाज़ों से जला करते हैं।
22- रहते है उखड़े उखड़े दूसरों से
जो खुद कुछ उखाड़ नहीं पाते।
23- किया कम ज्यादा जताया जाता है,
गरीबों की गरीबी का मज़ाक बनाकर उन्हें जलाया जाता है।
24- दफ़न नहीं करूंगा सनम अपने
दुश्मनों को मैं ज़िंदा जलाऊंगा।
25- बस बात ऐसी है की मैंने तुझे कभी बताया नहीं,
वरना ऐसा कोई वक़्त नहीं जो तूने मुझे जलाया नहीं।
26- आ ही गए हैं वो दिन बदनसीबी के,
की जलने लगे है अपने क़रीबी ही क़रीबी से
27- पूरा साथ निभाया करो या फिर संग चला ही मत करो,
दुश्मनी मुँह पर निभाओ पीठ पीछे जला ही मत करो।
28- हम कुछ ऐसा कर जाएंगे की जलने वाले थोड़ा और जल जाएंगे।